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तुर्कमान गेट / शमशेर बहादुर सिंह
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07:31, 30 सितम्बर 2007
होंट गोया हैं सूखे पत्तों से ।
ख़ामुशी
चीखतेहै
चीखती है
आँखों से ।
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