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उनका सफ़र / विपिन चौधरी
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11:46, 1 जून 2012
<poem>
रोटी का स्याह पक्ष ही
देखा है
उन्होने
उन्होंने
।
जला हुआ,
महकविहीन ।
अनिल जनविजय
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