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क़तअ़ात / ‘अना’ क़ासमी
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13:32, 1 जून 2012
ये हक़ीकत है ऐ दिले-नादाँ
तुझको ये मानना भी मुश्किल है
चेहरे
इतेन
इतने
बदल चुका अब तक
ख़ुद को पहचानना भी मुश्किल है
वीरेन्द्र खरे अकेला
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