गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
हेर श्यामल घन नील गगन / रवीन्द्रनाथ ठाकुर
No change in size
,
09:26, 3 जून 2012
'''हेरिया श्यामल घन नील गगने'''
हेर
स्यामल
श्यामल
घन नील गगन
याद आए हैं काजल नयन ।
अधर वे कातर करुणा भरे,
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,345
edits