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बह रही आनन्दधारा भुवन में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर
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15:36, 11 जून 2012
'''आनन्दधारा बहिछे भुवने'''
बह रही
आनण्दधारा
आनन्दधारा
भुवन में,
रात-दिन अमृत छलकता गगन में ।।
दान करते रवि-शशि भर अंजुरी,
अनिल जनविजय
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