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सूरदास / परिचय

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* सूरसारावली में कवि ने क्रिष्ण विषयक जिन कथात्मक और सेवा परक पदो का गान किया उन्ही के सार रूप मैं उन्होने सारावली की रचना की।
* सहित्यलहरी मैं सूर के दृष्टिकूट पद संकलित हैं।
==सूरदास जी के कुछ पद==
 
चरन कमल बंदौ हरिराई ।
 
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघे,अंधे को सब कछु दरसाई ॥१॥
 
बहरो सुने मूक पुनि बोले,रंक चले सिर छत्र धराई ।
 
‘सूरदास’ स्वामी करुणामय, बारबार बंदौ तिहिं पाई ॥२॥
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तिहारो दरस मोहे भावे श्री यमुना जी ।
 
श्री गोकुल के निकट बहत हो, लहरन की छवि आवे ॥१॥
 
सुख देनी दुख हरणी श्री यमुना जी, जो जन प्रात उठ न्हावे ।
 
मदन मोहन जू की खरी प्यारी, पटरानी जू कहावें ॥२॥
 
वृन्दावन में रास रच्यो हे, मोहन मुरली बजावे ।
 
सूरदास प्रभु तिहारे मिलन को, वेद विमल जस गावें ॥३॥
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दृढ इन चरण कैरो भरोसो, दृढ इन चरणन कैरो ।
 
श्री वल्लभ नख चंद्र छ्टा बिन, सब जग माही अंधेरो ॥
 
साधन और नही या कलि में, जासों होत निवेरो ॥
 
सूर कहा कहे, विविध आंधरो, बिना मोल को चेरो ॥