[[चित्र:Sumitran pant.jpg|thumb|300px|right|सुमित्रानंदन पंत]]
बीसवीं सदी का पूर्वार्द्ध छायावादी कवियों का उत्थान काल था। उसी समय अल्मोड़ा निवासी सुमित्रानंदन पंत उस नये युग के प्रवर्तक के रूप में हिन्दी साहित्य में अभिहित हुये। इस युग को [[जयशंकर प्रसाद]], [[महादेवी वर्मा]], [[सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला']] और [[रामकुमार वर्मा]] जैसे छायावादी प्रकृति उपासक-सौन्दर्य पूजक कवियों का युग कहा जाता है। सुमित्रानंदन पंत का प्रकृति चित्रण इन सबमें श्रेष्ठ था। उनका जन्म ही बर्फ़ से आच्छादित पर्वतों की अत्यंत आकर्षक घाटी [[अल्मोड़ा]] में हुआ था, जिसका प्राकृतिक सौन्दर्य उनकी आत्मा में आत्मसात हो चुका था। झरना, बर्फ, पुष्प, लता, भंवरा गुंजन, उषा किरण, शीतल पवन, तारों की चुनरी ओढ़े गगन से उतरती संध्या ये सब तो सहज रूप से काव्य का उपादान बने। निसर्ग के उपादानों का प्रतीक व बिम्ब के रूप में प्रयोग उनके काव्य की विशेषता रही। उनका व्यक्तित्व भी आकर्षण का केंद्र बिंदु था, गौर वर्ण, सुंदर सौम्य मुखाकृति, लंबे घुंघराले बाल, उंची नाजुक कवि का प्रतीक समा शारीरिक सौष्ठव उन्हें सभी से अलग मुखरित करता था। <ref>{{cite web |url= http://taptilok.com/pages/details.php?detail_sl_no=294&cat_sl_no=8|title= निसर्ग में वैश्विक चेतना की अनुभूति: सुमित्रानंदन पंत |accessmonthday=[[20 जुलाई]]|accessyear=[[2007]]|format= पीएचपी|publisher= ताप्तिलोक|language=}}</ref>
==जन्म और परिवार==