Changes

हाथ-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’

143 bytes added, 16:58, 16 जुलाई 2012
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’ |संग्रह=}}{{KKCatKavita‎}}<poem>मेरे हाथ
मेरे कंधों पर थे
फ़िर फिर भी
लोगों ने
मेरे हाथ ढूंढेढूँढ़ेक्रांतियो क्राँतियो मेंभ्रांतियो भ्राँतियो में
यानी
तमाम अपघटितों में
बेबाक गवाहियांगवाहियाँ
निर्लज्ज पुष्टियों में थी
जबकि मैं
दूर खड़ा
दोनों हाथ
मलता रहा.
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,675
edits