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दीपावली का एक दीप / अज्ञेय
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15:25, 19 जुलाई 2012
रे कृतघ्न! तूने बुझ कर क्यों उसको खंडित कर डाला?'
अप्रैल, 1932
'''अमृतसर जेल, अप्रैल, 1932'''
</poem>
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