गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
दूरवासी मीत मेरे / अज्ञेय
2 bytes added
,
16:53, 19 जुलाई 2012
दूरवासी मीत मेरे!
पहुँच क्या तुझ तक सकेंगे काँपते ये गीत मेरे?
आज कारावास में उर तड़प
उ_ा
उठा
है पिघल कर
बद्ध सब अरमान मेरे फूट निकले हैं उबल कर
याद तेरी को कुचलने के लिए जो थी बनायी-
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits