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औद्योगिक बस्ती / अज्ञेय
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12:23, 30 जुलाई 2012
{{KKRachna
|रचनाकार=अज्ञेय
|संग्रह=
अरी ओ करुणा प्रभामय / अज्ञेय
}}
{{KKCatKavita}}
मानव की आशाएँ ही पल-पल
::उस को छलती जाती हैं।
'''ओसाका-हिरोशिमा (रेल में), 17 दिसम्बर, 1957'''
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