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चुक गया दिन / अज्ञेय
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15:10, 30 जुलाई 2012
सामने था आर्द्र तारा नील,
उमड़ आई असह तेरी याद !
हाय
,
यह प्रति दिन पराजय दिन छिपे के बाद !
'''चम्पानेर (रेल में), 23 सितम्बर, 1939'''
</poem>
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