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|रचनाकार=संजय कुमार कुंदन|संग्रह=एक लड़का मिलने आता है / संजय कुमार कुंदन
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<poem>
उदास लम्हे
ज़रा-सा चटख ही जाते हैं
कि उनमें चुपके से
ठहरे ज़रा ही देर सही
कोई मसरूफ़1 ख़ुशी
और फिर उठ के
अपनी राह चले
उदास लम्हे<br>सियाह रातज़रा-सा चटख ही जाते हैं<br>मुकम्मिल2 कभी नहीं होतीवो जब भी आती हैअपने शबाब3 परकि उनमें वहींरोशनी चुपके से<br>,ठहरे ज़रा ही देर सही<br>कोई मसरूफ़1 ख़ुशी<br>अपने चमकते ख़ंजर सेऔर फिर उठ के<br>क़त्ल कर देती हैअपनी राह चले<br><br>शब4 की जवाँ उमंगों का
सियाह रात<br>ये फूल, चाँद सितारेमुकम्मिल2 कभी नहीं होती<br>ये कहकशाँ5, बादलऔर परिन्दों कीये कमबख़्त जाँगुसल आवाज़राह के कोने पेबैठा वो जब भी आती है<br>फ़रिश्ता नन्हाअपने शबाब3 पर<br>और रिक्शे पे वोकि वहीं<br>चढ़ती हुई कमसिन लड़कीरोशनी चुपके सेआह,<br>ये गुलमोहर केअपने चमकते ख़ंजर सुर्ख़-से<br>क़त्ल कर देती है<br>शब4 की जवाँ उमंगों का<br><br>फूल
ये फूल, चाँद सितारे<br>ये कहकशाँ5, बादल<br>और परिन्दों की<br>ये कमबख़्त जाँगुसल आवाज़<br>राह के कोने पे<br>बैठा वो फ़रिश्ता नन्हा<br>और रिक्शे पे वो<br>चढ़ती हुई कमसिन लड़की<br>आह, ये गुलमोहर के<br>सुर्ख़-से फूल<br><br> उदास लम्हों की तस्वीर<br>कैसे पूरी हो<br>कोई तारीकी6<br>क्यूँ मुकम्मिल हो<br>उदास लम्हे कहाँ तक<br>उदास रह पाएँ<br>कि बेसबब7 ही सही<br>
मुस्करा दें हम दोनों
 </poem>
1.व्यस्त, 2.पूर्ण, 3.यौवन, 4.रात्रि, 5.आकाशगंगा 6.अँधेरा, 7.बिना कारण।