Changes

खुलती आँख का सपना / अज्ञेय

9 bytes removed, 06:51, 4 अगस्त 2012
विहग-स्वर सुन जाग देखा, उषा का आलोक छाया,
झिप गयी तब रूपकत्र्री रूपकतरी वासना की मधुर माया;
स्वप्न में छिन, सतत सुधि में, सुप्त-जागृत तुम्हें पाया-
चेतना अधजगी, पलकें लगीं तेरी याद में कँपने!
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits