गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
उद्धव-गोपी संवाद भाग ५ / सूरदास
4 bytes added
,
17:57, 4 अक्टूबर 2007
इनकैं कहे कौन डहकावे, ऐसी कौन अनारी ।<br>
अपनौं दूध छाँड़ि को पीवै, खारे कूप कौ बारी ॥<br>
ऊधौ जाहु सबारैं ह्याँ तै, बेगि गहरु जनि लावहु ।
<br>
मुख मागौ पैहौ सूरज प्रभु, साहुहिं आनि दिखावहु ॥17॥ <br><br>
Pratishtha
KKSahayogi,
प्रशासक
,
प्रबंधक
6,240
edits