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उनका जन्म 9 सितंबर, 1945 को अल्मोड़ा के ज्योली हवालबाग गांव में हंसादत्त तिवाडी और जीवंती तिवाडी के घर हुआ था।
वह आजीवन जन संघर्षों से जुड़े रहे और अपनी कविताओं में जन पीड़ा को सशक्त अभिव्यक्ति दी। उत्तराखंड के जनकवि गिरीश चंद्र तिवाडी ‘गिर्दा’ का 22 अगस्त 2011 2010 सुबह हल्द्वानी में देहांत हो गया। वह काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनकी अंत्येष्टि 23 अगस्त 2011 2010 सुबह पाईन्स, नैनीताल में सम्पन्न हुई।
==एक और परिचय==
गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ (Girish Tewari ‘Girda’)
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