1,116 bytes added,
15:04, 29 अगस्त 2012 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=मेरे गीत, तुम्हारा स्वर हो / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[Category:गीत]]
<poem>
मुझे भर लेती है बाँहों में
फूलों की सुगंध, जब मैं फिरता वन की राहों में
पत्तों के घूँघट सरका कर
देखा करते दो दृग सुन्दर
झुक चुम्बन लेती गालों पर
तरुशाखा छाओं में
हरियाली की ओढ़े चादर
वनश्री नील वर्ण सोयी भू पर
जग जाती है पग ध्वनि सुन कर
मिलने की चाहों में
मुझे भर लेती है बाँहों में
फूलों की सुगंध, जब मैं फिरता वन की राहों में
<poem>