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किसने जीवन दीप जुगाया! / गुलाब खंडेलवाल
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15:42, 29 अगस्त 2012
किसका था वह हाथ सदा जो आड़े-आड़े आया !
अपना ही प्रतिबिम्ब, मोह, भ्रम,स्वप्न कहूँ या माया
मैंने प्रतिपल निज प्राणों पर परस किसी का पाया
Vibhajhalani
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