715 bytes added,
16:40, 3 सितम्बर 2012 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
|
}}
{{KKCatKavitt}}
<poem>
नित्त ध्यान धरूं चित्त से हित से, उर गोविन्द के गुण गया करूं |
वृन्दावन धाम में श्याम सखा, मन हीं मन में हरषाया करूं |
नन्द यशोमती गुवालन को, शिवदीन यूं भाग्य सराया करूं |
श्रीराधिका कृष्ण ही कृष्ण रटूं, ब्रज की रज शीश चढ़ाया करूं |
<poem>