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''........शुरू शुरू में तो जब यह फॉर्म बनाई थी, तो पता नहीं था यह किस संगम तक पहुँचेगी - त्रिवेणी नाम इसीलिए दिया था कि पहले दो मिसरे, गंगा-जमुना की तरह मिलते हैं और एक ख़्याल, एक शेर को मुकम्मल करते हैं लेकिन इन दो धाराओं के नीचे एक और नदी है - सरस्वती जो गुप्त है नज़र नहीं आती; त्रिवेणी का काम सरस्वती दिखाना है तीसरा मिसरा कहीं पहले दो मिसरों में गुप्त है, छुपा हुआ है ।1972-73 में जब कमलेश्वर जी सारिका के एडीटर थे, तब त्रिवेणियाँ सारिका में छपती रहीं और अब – त्रिवेणी को बालिग़ होते-होते सत्ताईस-अट्ठाईस साल लग गए --[[गुलज़ार]]''
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तीन पक्तियों की साम्यता के अतिरिक्त इन दोनो विधाओं में अन्य कोई साम्य नहीं है यथा तीन पंक्तियों का एक हाइकु देखे-
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ठहर कर
देखी इंसानियत
ठिठुरी हुई
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-'''डॉ0 [[सुदर्शन प्रियदर्शिनी]]'''
और इन्सानियात के इसी ख्याल को व्यक्त करती गुलजार साहब की यह त्रिवेणी-<poem>गोले, बारूद, आग, बम, नारेबाज़ी आतिश की शहर में गर्म है बंध खोलो कि आज सब "बंद" है </poem>--'''[[गुलज़ार]]'''<poem>*कविताकोश में सम्मिलित कुछ रचनाकार जिन्होने हिन्दी साहित्य की त्रिवेणी विधा में रचना की है इस प्रकार हैं-
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*[[गुलज़ार]]
*[[त्रिपुरारि कुमार शर्मा]]
*[[विनय प्रजापति 'नज़र']]
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*कविताकोश में सम्मिलित कुछ रचनाकार जिन्होने जापानी साहित्य से आयातित [[हिन्दी साहित्य में स्थान बनाती जापानी विधाऐं| हाइकु]] विधा में हिन्दी साहित्य की रचना की है इस प्रकार हैं-
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*[[सत्यभूषण वर्मा]] ,
*[[गोपालदास "नीरज"]],
*[[शिव बहादुर सिंह भदौरिया]] ,
*[[सरस्वती माथुर]],
*[[सुभाष नीरव]] ,
*[[सुधा गुप्ता ]],
*[[कमलेश भट्ट 'कमल']], डॉ०
*[[ जगदीश व्योम]],
*[[रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' ]],
*[[कुँअर बेचैन]] ,
*[[यदि कोई पूछे तो / मासाओका शिकि|अंजली देवधर]],
*[[रमा द्विवेदी]]
*[[कृष्ण शलभ]] ,
*[[ऋतु पल्लवी]]
*[[पवन कुमार]],
*[[भावना कुँअर]], ,
*[[अशोक कुमार शुक्ला]],
*[[भावना कुँअर]],(आस्ट्रेलिया)
*[[सुदर्शन प्रियदर्शिनी]], (यू.एस.ए.) ,
*[[पूर्णिमा वर्मन]], (संयुक्त अरब अमीरात) ,
*[[अनूप भार्गव]] (अमेरिका),
*[[रचना श्रीवास्तव]],
*[[रेखा राजवंशी]] (