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साँचा:KKPoemOfTheWeek

1,196 bytes added, 10:50, 21 सितम्बर 2012
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<div style="font-size:15px; font-weight:bold">सप्ताह की कविता</div>
<div style="font-size:15px;">'''शीर्षक : लोहाताकि सनद रहे''' रचनाकार : [[एकांत श्रीवास्तवसदस्य:चंद्र मौलेश्वर‎]] </div>
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</table><pre style="text-align:left;overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
जंग लगा लोहा पाँव में चुभता हैतो मैं टिटनेस का इंजेक्शन लगवाता हूँलोहे से बचने कविता कोश के लिए नहींउसके जंग महत्त्वपूर्ण योगदानकर्ता और हिन्दी के सँक्रमण विकास हेतु सदा प्रयत्नशील रहने वाले श्री चंद्रमौलेश्वर प्रसाद का 12 सितम्बर 2012 को देहांत हो गया। कविता कोश की ओर से बचने के लिएअश्रुपूर्ण श्रद्धांजली।मैं तो बचाकर रखना चाहता हूँउस लोहे आपने 18 अप्रैल 2009 को कविता कोश से जुडकर 600 से भी अधिक रचनाओं को इस कोश में जोडा आपने जो मेरे ख़ून में हैजीने के लिए पहली रचना इस संसार कोश मेंजोडी वह ऋषभ देव शर्मा जी की रचना गोलमहल थी और संग्रह था ताकि सनद रहे..... ।रोज़ लोहा लेना पड़ता हैएक लोहा रोटी के लिए लेना पड़ता यह संयोग हैदूसरा इज़्ज़त के साथउसे खाने के लिएएक लोहा पुरखों के बीज कि आने 21 जुलाई 2011 कोअंतिम बार कविताकोश पर जिस रचना को जोडा वह भी ऋषभदेव शर्मा की ही रचना थी तेवरी काव्यान्दोलन।बचाने के लिए लेना पड़ता हैदूसरा उसे उगाने कविताकोश से योगदानकर्ता के लिएमिट्टी रूप मेंजुडे रहने के दौरान आपने आरज़ू लखनवी, हवा में‎ सफ़ी लखनवी, सीमाब अकबराबादी, पानी में‎ जिगर मुरादाबादी, ‎आसी ग़ाज़ीपुरी, ‎ अमजद हैदराबादी, ‎कविता वाचक्नवी, यगाना चंगेज़ी, ‎ लेकर फ़ानी बदायूनी, तक शायरियों को जोडा ।पालक में कविताकोश और ख़ून में जो लोहा हैउसके पढने वाले श्रीश्री चंद्रमौलेश्वर प्रसाद के योगदान को हमेशा याद रखेंगे ।यही सारा लोहा काम आता है एक दिनफूल जैसी धरती को बचाने ईश्वर ने आपके लिये स्वर्ग में स्थान सुनिश्चित किया हो इसी कामना के साथ सभी योगदानकर्ताओं की ओर से अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि ।
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