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रात/गुलज़ार

2 bytes removed, 10:07, 30 सितम्बर 2012
वह दिन हमजाद था उसका!
वह आई है कि मामेरे मेरे घर में उसको दफ्न कर के,
इक दीया दहलीज़ पे रख कर,
निशानी छोड़ दे कि महव मह्व है ये कब्र,
इसमें दूसरा आकर नहीं लेटे!
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