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सूर्यनमस्कार / कविता वाचक्नवी
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,
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फॉर्मेट व वर्तनी
|रचनाकार=कविता वाचक्नवी
}}
'''
'''सूर्य-नमस्कार''''''
झिर्रियों की धूप
देती है
-
आभास
बाहर
उग गया है
-
,
सूर्य ।
कुछ पल
लुके - छिपे, बंद झरोखों - दरारों से
झाँक लेगा
Kvachaknavee
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