दिल की दरगाह में ख्वाबों के मज़ार बाकी हैं |
बहारों से कहो कि किसने बुलाया था तुम्हे
अभी तो महकते गम के सदाबहार बाकी हैं | [१९]अंजली भर अश्रु हैं और इंच भर मुस्कान |दो कदम के पंथ में भी अनगनित व्यवधान |दाग दामन में है जिसके जिगर चाक-चाक आज के इन्सान की है बस यही पहचान | [२०]जी भर के बद् दुआ दे कोई मुझे असर नहीं |फूलों से जख्म पाये उसे काँटों का डर नहीं |सपनों के आशियाँ पर बिजली गिराने वाले तुम्हारी आदमियत में भी कोई कसार नहीं | [२१] हर तिनका पतवार नहीं होता है |हर कंधे पर भार नहीं होता है |नियति को क्यों कोस रहा है पगले हर सपना साकार नहीं होता है |
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