1,027 bytes added,
18:15, 3 नवम्बर 2012 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोरधन सिंह शेखावत
|
{{KKCatRajasthan}}
<poem>
प्रीत
फागण रै रात री
उणीँदी चांनणी री
कुंवांरा होठां री
अणबुझी
अछेही तिरस सी
प्रीत
गीत रै मांय
हिबोळा खाबती
गळगळी पीड़ सी
रूपाळी देह माथै
जोबन री
चढती पाण सी
प्रीत
डूंगर रै साथै
छांनै-छांनै
पसरीजता गुलाबी उजास सी
बरफ सूं ठारियोड़ी रात में
निवायो परस सी
प्रीत
मन रै गळियारै में
कबूल करियोड़ा
सबदां री
छेली सींव माथै
सूंप्योड़ा छिण सी
<poem>