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|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
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आनन्द-उमंग रंग, भक्ति-रंग रंग रंगी,
एहो ! अनुराग सत्य उर में जगावनी |
ज्ञान वैराग्य वृक्ष लता पता चारों फल,
प्रेम पुष्प वाटिका सुन्दर सजवानी |
सत्संगी समझदार, देखो यह बहार बनी,
अमृत की वर्षा सरस आनन्द बरसवानी |
कहता शिवदीन बेल छाई उर छाई-छाई,
आई शुभ बसंत संत संतान मन भावनी |
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