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अदृश्य रंगरेज के प्रति / विमल राजस्थानी
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15:16, 1 दिसम्बर 2012
रंगों का छवि-जाल अजब है
यह कैसी सम्मोहन-लीला,
यह कैसा
अद्भुुत
अद्भुत
करतब है !
लपटों तक में देखा-निरखा है
रंगों का शाश्वत जादू
कितना
संुदर
सुंदर
रंग तुम्हारा-
होगा, कोई जान न पाया।
आशिष पुरोहित
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