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मेरे दामन में काँटे हैं, मेरी आँखों में पानी हैं.. / श्रद्धा जैन
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11:04, 3 दिसम्बर 2012
किताबे-उम्र का बस इक सबक़ ही याद है मुझको
तेरी कुर्बत में जो बीता
वही
वो
लम्हा
जवानी
जावेदानी
है
वफ़ा के नाम पर 'श्रद्धा' न हो कुर्बान अब कोई
कहानी हीर-रांझा की पुरानी थी, पुरानी है
</poem>
Shrddha
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