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चमकत है बिजरी गरजत घन श्याम श्याम / शिवदीन राम जोशी
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18:10, 17 दिसम्बर 2012
<poem>
चमकत है बिजरी गरजत घन श्याम श्याम,
कारे मतवारे बादर भी सुहावना।
बरसत ज्यूं फुवांरे पल पल मेघमाली के,
दादुर गीत गावें जैसे आये हो पावना।
मोरन की शोर मची पीहूं-पीहूं बोलि रहे,
कोयल के मधुर शब्द बारिश बरसावना।
Kailash Pareek
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