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काली हिरनी / श्याम कश्यप

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''' श्रृंघश्चश्चश्चश्चे श्रृंघश्चे कृष्णमृगस्य वामनयनं कण्डूयमानां मृगीम ।।'''
'''-अभिज्ञान शाकुंतलम्‌; ६ : १७'''
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