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कबीर

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/* रचनाएँ */
'''बन ते भागा बिहरे पड़ा, करहा अपनी बान।'''<br>'''करहा बेदन कासों कहे, को करहा को जान।।'''
वन से भाग कर बहेलिये के द्वारा खोये हुए गड्ढे में गिरा हुआ हाथी अपनी व्यथा किस से कहे ?
मूर्त्ति पूजा को लक्ष्य करते हुए उन्होंने एक साखी हाजिर कर दी-
'''पाहन पूजे हरि मिलैं, तो मैं पूजौंपहार।'''<br>'''था ते तो चाकी भली, जासे पीसी खाय संसार।।'''
११९ वर्ष की अवस्था में उन्होंने मगहर में देह त्याग किया।