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मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली .।नीले नभ में बादल काले, हरियाली में सरसों पीली.।
यमुना-तीर,घाट गंगा के, तीर्थ-तीर्थ में बाट छाँव की सदियों से चल रहे अनूठे, ठाठ गांव गाँव के,हाट गाँव की. ।
शहरों को गोदी में लेकर, चली गाँव की डर डगर नुकीली.।मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली.।
खडी-खड़ी फुलवारी फूले, हार पिरोये पिरोए बैठ गुजरिया.।बरसाए जलधार बदरिया, भीगे जग की हरी चदरिया.।
तृण पर शबनम,तरु पर जुगनू, नीड़ रचाए तीली-तीली.।मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली.।
घास-फूस की खड़ी झोपड़ी, लाज सम्भाले जीवन -भर की.।कुटीया कुटिया में मिट्टी के दीपक, मंदिर में प्रतिमा पत्थर की.।
जहां बांस कंकड़ जहाँ बाँस कँकड़ में हरि का, वहाँ नहीं चांदी चाँदी चमकीली । मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली. ।
जो कमला के चरण पखारे,होता है वह कमल -कीच में.।तृण,तंदुल,ताम्बूल,ताम्र, तिल के दीपक बीच-बीच में.।
सीधी-सदी पूजा अपनी, भक्ति लजीली मूर्ति सजीली.।मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली. ।
बरस-बरस पर आती होली , रंगों का त्यौहार अनोखा चुनरी इधर-उधर पिचकारी, गाल -भाल पर कुमकुम फूटा.।
लाल-लाल बन जाए काले, गोरी सूरत पीली -नीली.।मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली .।
दिवाली -- दीपों का मेला,झिलमिल महल -कुटी -गलियारे.।भारत -भर में उतने दीपक, जितने जलते नभ में तारे.।
सारी रात पटाखे छोडे, नटखट बालक उम्र हठीली.।मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली.।
खंडहर में इतिहास सुरक्षित,नगर-नगर में नई रौशनी.।आए -गए हुए परदेशी,यहाँ अभी भी वही चांदनी. चाँदनी ।
अपना बना हजम म कर लेती, चाल यहाँ की ढीली-ढीली.।मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली.।
मन में राम,बाल में गीता, घर-घर आदर रामायण का.।किसी वंश का कोई मानव, अंश साझते नारायण का.।
ऐसे हैं बहरत के वासी,गात गठीला,बाट चुटीली.।मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली.।
आन कठिन भारत की लेकिन,नर -नारी का सरल देश है ।देश और भी हैं दुनिया में,पर गाँधी का यही देश है,।
जहाँ राम की जय अजग बोला,बजी श्याम की वेणु सुरीली. । मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति- रसम- ऋतुरंग- रंगीली.।
लो गंगा-यमुना-सरस्वती या लो मदिर-मस्जिद-गिरजा.।ब्रह्मा-विष्णु-महेश भजो या जीवन-मरण-मोक्ष की चर्चा. सबका यहीं त्रिवेणी-संगम,ज्ञान गहनतम, कला रसीली. मेरा देश बड़ा गर्वीला ,रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली.।
सबका यहीं त्रिवेणी-संगम, ज्ञान गहनतम, कला रसीली ।
मेरा देश बड़ा गर्वीला, रीति-रसम-ऋतुरंग-रंगीली ।
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