गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अहिंसा के बिरवे / जगदीश व्योम
1 byte added
,
04:29, 12 अप्रैल 2013
बहुत वक़्त बीता कि जब इस चमन में
अहिंसा के बिरवे उगाए गए थे
थे सोये हुए भाव
जनमन
जन-मन
में गहरे
पवन सत्य द्वारा जगाये गये थे,
बने वृक्ष, वट-वृक्ष , छाया घनेरी
डा० जगदीश व्योम
929
edits