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आए महंत वसंत / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
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|रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
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<poem>मखमल के झूल पड़े हाथी-सा टीला
बैठे किंशुक छत्र लगा बाँध पाग पीला
चंवर सदृश डोल रहे सरसों के सर अनंत
Sharda suman
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