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|रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
}}
{{KKCatKavita}}<poem>जब सब बोलते थे<br>वह चुप रहता था,<br>जब सब चलते थे<br>वह पीछे हो जाता था,<br>जब सब खाने पर टूटते थे<br>वह अलग बैठा टूँगता रहता था,<br>जब सब निढाल हो सो जाते थे<br>वह शून्य में टकटकी लगाए रहता था<br>लेकिन जब गोली चली<br>तब सबसे पहले<br>वही मारा गया।<br>
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