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उमीदे-मर्ग कब तक / फ़िराक़ गोरखपुरी
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09:08, 19 अप्रैल 2013
}}
<poem>
उमीदे-मर्ग कब तक
ज़िन्दगी का दर्दे-सर कब तक
यॅ
ये
माना सब्र करते हैं महब्बत में
मगर कब तक
Sharda suman
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