गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
ख़ून फिर ख़ून है / साहिर लुधियानवी
118 bytes added
,
03:56, 30 अप्रैल 2013
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= साहिर लुधियानवी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जुल्म फिर ज़ुल्म है, बढ़ता है तो मिट जाता है
ख़ून फिर ख़ून है टपकेगा तो जम जाएगा
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,131
edits