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ख़ून फिर ख़ून है / साहिर लुधियानवी
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03:59, 30 अप्रैल 2013
जिस्म मिट जाने से इन्सान नहीं मर जाते
धड़कनें रूकने से अरमान नहीं मर जाते
सॉंस
साँस
थम जाने से ऐलान नहीं मर जाते
होंठ जम जाने से फ़रमान नहीं मर जाते
Sharda suman
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