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<poem>थेपड़्यां थेपती काकी
कांई जाणै एस.एम.एस. री थाप।
मोबाईल री क्रांति
सूचनावां रो नवो संसार
कम पईसां में सब व्हैग्या
बातेरी बणवा नैं त्यार।

तकनीक री बातां
आभै में पसरती जाय रैयी है
टू-जी, थ्री-जी अर फोर-जी री बात
म्हारी जीजी नैं ठाह कोनीं
तकनीक नैं समझबा री तकनीक
गांव-गांव रा मिनखां नैं ई बताणी है
लारै-लारै
सरकार नैं ई जठै बिजळी नीं पूगी
बठै बिजळी ई पूगाणी है।
स्हैर रा मिनख है घणा हुंसियार
गांव रा मिनखां नैं ई
हुंसियार बणाणा है
म्हे हां समझ राखबा वाळा
सब नैं ओ जणाणो है।</poem>
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