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00:46, 16 मई 2013 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह= उचटी हुई नींद
}}
{{KKCatKavita}}<poem>अभी इस वक्त
बहुत कुछ हो जाएगा-
मसलन इस संसार की
बढ़ जाएगी आबादी
और जन्म से पहले ही
हत्यारे खोजेंगे कन्या-भ्रूण
यह कोई नई बात नहीं !
क्या है नई बात ?
क्या है ऐसी कोई बात
जिसे हम नहीं जानते ?
हम जानते हैं-
सारी की सारी बातें ।
कविता में इस वक्त
क्या कहूं नई बात?
क्या चाहते हैं आप?
क्या हर किसी की चाहत
संभव है पूरी होना
किसी एक कवि में!
किसी एक कविता में!!</poem>