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01:04, 16 मई 2013 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
}}
{{KKCatKavita}}<poem>चाहने भर से क्या होता है
कहना चाहो तो भी
कहा नहीं जा सकता।
कहने और न कहने के बीच
एक खूबसूरत जगह है दोस्तों
उसी जगह पर रूक गया हूं मैं
करता हूं आपसे अनुनय
विदा कहें मुझे!</poem>
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