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01:14, 16 मई 2013 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=उचटी हुई नींद / नीरज दइया
}}
{{KKCatKavita}}<poem>जो प्रेम था
उसके लिए कोई सबूत
आज तक नहीं मांगा
आज जब मांगा है तुमने
सोचता हूं-
क्या हो सकता है वह?
क्या वह स्वयं
नहीं है प्रेम!</poem>
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