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हम पंछी उन्मुक्त गगन के / शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
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04:02, 29 मई 2013
|रचनाकार=शिवमंगल सिंह सुमन
|संग्रह=
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}}
<Poem>
हम पंछी उन्मुक्त गगन के
आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,
लेकिन पंख दिए हैं, तो
आकुल उड़ान में विघ्न न
डालों।
डालो।
</poem>
Sharda suman
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