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दर्द का दस्ताकवेज / राजेश श्रीवास्तव
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03:43, 10 जून 2013
अपराध हमारा यही था, न बगुले हो सके, न भगत हम
आकर यहीं टूट जाता है आपकी
व्याैकरण
व्याकरण
का क्रम
एक ही तुला पर मत तोलिए सबको
बहुत अन्तार है गंगाजल और जाम के बीच।
Mani Gupta
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