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अश्रु / कविता वाचक्नवी
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17:32, 10 जून 2013
|रचनाकार=कविता वाचक्नवी
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इस चेहरे के अक्षर
गीले हैं, सूरज!
कितना सोखो
सूखे,
और चमकते हैं।
Mani Gupta
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