गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मदार / रंजना जायसवाल
550 bytes removed
,
15:02, 26 जून 2013
पर सफेद मदार
रंग-भेद यहाँ भी ?
पुरइन मगन हो जाती है
जब भी जीती हूँ तुममें तुम आ जाते हो
मुझमें और हर लेते हो
मेरे अंदर का सूनापन
बाहर पसर जाती है एक चुप्पी
और भीतर मच जाती है हलचल
रातें सजल हो जाती हैं दिन तरल
|पोखर भर जाता है
पुरइन मगन हो जाती है |
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,132
edits