{{KKGlobal}}{{KKLokRachna|रचनाकार=रघुबीर * [[बटोहिया / रघुवीर नारायण}}{{KKLokGeetBhaashaSoochi|भाषा=भोजपुरी}}<poem>१.सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा सेमोरे प्राण बसे हिम-खोह रे बटोहियाएक द्वार घेरे रामा हिम-कोतवलवा सेतीन द्वार सिंधु घहरावे रे बटोहिया जाहु-जाहु भैया रे बटोही हिंद देखी आउजहवां कुहुंकी कोइली बोले रे बटोहियापवन सुगंध मंद अगर चंदनवां सेकामिनी बिरह-राग गावे रे बटोहिया बिपिन अगम घन सघन बगन बीचचंपक कुसुम रंग देबे रे बटोहियाद्रुम बट पीपल कदंब नींब आम वॄछकेतकी गुलाब फूल फूले रे बटोहिया तोता तुती बोले रामा बोले भेंगरजवा सेपपिहा के पी-पी जिया साले रे बटोहियासुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा सेमोरे प्रान बसे गंगा धार रे बटोहिया गंगा रे जमुनवा के झिलमिल पनियां सेसरजू झमकी लहरावे रे बटोहियाब्रह्मपुत्र पंचनद घहरत निसि दिनसोनभद्र मीठे स्वर गावे रे बटोहिया उपर अनेक नदी उमडी घुमडी नाचेजुगन के जदुआ जगावे रे बटोहियाआगरा प्रयाग काशी दिल्ली कलकतवा सेमोरे प्रान बसे सरजू तीर रे बटोहिया जाउ-जाउ भैया रे बटोही हिंद देखी आउजहां ऋषि चारो बेद गावे रे बटोहियासीता के बीमल जस राम जस कॄष्ण जसमोरे बाप-दादा के कहानी रे बटोहिया ब्यास बालमीक ऋषि गौतम कपिलदेवसूतल अमर के जगावे रे बटोहियारामानुज-रामानंद न्यारी-प्यारी रूपकलाब्रह्म सुख बन के भंवर रे बटोहिया नानक कबीर गौर संकर श्रीरामकॄष्णअलख के गतिया बतावे रे बटोहियाबिद्यापति कालीदास सूर जयदेव कवितुलसी के सरल कहानी रे बटोहिया जाउ-जाउ भैया रे बटोही हिंद देखि आउजहां सुख झूले धान खेत रे बटोहियाबुद्धदेव पॄथु बिक्रमा्रजुन सिवाजी केफिरि-फिरि हिय सुध आवे रे बटोहिया अपर प्रदेस देस सुभग सुघर बेसमोरे हिंद जग के निचोड़ रे बटोहियासुंदर सुभूमि भैया भारत के भूमि जेहीजन 'रघुबीर. सिर नावे रे बटोहिया. 'बटोहिया' एक ऐसी रचना जो बिहार के प्रथम भोजपुरी राष्ट्रगीत का दर्जा पा चुकी कविता है.१९७० तक बिहार स्टेट टेक्स्ट बुक समिति द्वारा कक्षा १० और ११ की प्रकाशित हिंदी काव्य संग्रह के आवरण पृष्ठ पर 'बटोहिया' का मुद्रण अनवरत किया जाता था.गीत की कीर्ति सरहद पार मारीशस, त्रिनिदाद, फिजी, गुयाना तक थी. दुर्भाग्यवश बढ़ती उम्र के साथ बटोहिया की वह लोकप्रियता छिन गई.]]