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{{KKRachna
|रचनाकार=अहमद नदीम काज़मी
|संग्रह=
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
लबों पे नर्म तबस्सुम रचा कि धुल जाएंजाएँ<BR>ख़ुदा करे मेरे आंसू किसी के काम आएंआएँ<BR><BR>
जो इब्तदा-ए-सफ़र में दिए बुझा बैठे<BR>
वो बदनसीब किसी का सुराग़ क्या पाएंपाएँ<BR><BR>
तलाश-ए-हुस्न कहां कहाँ ले चली ख़ुदा जाने<BR>उमंग थी कि फ़क़त जि़न्दगी को अपनाएंअपनाएँ<BR><BR>
बुला रहे है उफ़क़ पर जो ज़र्द-रू टीले<BR>
कहो तो हम भी फ़साने के राज़ हो जाएंजाएँ<BR><BR>
न कर ख़ुदा के लिए बार-बार जि़क्र-ए-बहिश्त<BR>
हम आस्मां आस्माँ का मुकरर्र फ़रेब क्यों खाएंखाएँ<BR><BR>
तमाम मयकदा सुनसान मयगुसार उदास<BR>
लबों को खोल कर कुछ सोचती हैं मीनाएंमीनाएँ<BR><BR>
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