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{{KKRachna
|रचनाकार=मलिक मोहम्मद जायसी
}}

'''मुखपृष्ठ: [[पद्मावत / मलिक मोहम्मद जायसी]]'''

जाएउ नागमति नागसेनहि । ऊँच भाग, ऊँचै दिन रैनहि ॥<br>
कँवलसेन पदमावति जाएउ । जानहुँ चंद धरति मइँ आएउ ॥<br>
पंडित बहु बुधिवंत बोलाए । रासि बरग औ गरह गनाए ॥<br>
कहेन्हि बडे दोउ राजा होहीं । ऐसे पूत होहिं सब तोहीं ॥<br>
नवौं खंड के राजन्ह जाहीं । औ किछु दुंद होइ दल माहीं ॥<br>
खोलि भँडारहिं दान देवावा । दुखी सुखी करि मान बढावा ॥<br>
जाचक लोग, गुनीजन आए । औ अनंद के बाज बधाए ॥<br><br>

बहु किछु पावा जोतिसिन्ह औ देइ चले असीस ।<br>
पुत्र, कलत्र, कुटुंब सब जीयहिं कोटि बरीस ॥1॥<br><br>


(1) जाएउ = उत्पन्न किया, जना । ऊँचे दिन रैनहि = दिन-रात में वैसा ही बढता गया ।
दुंद = झगडा, लडाई ।
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