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जीवन / अनिल जनविजय
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19:09, 20 अक्टूबर 2007
|संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे
}}
बेचैन होते हैं
फड़फड़ाते हैं
पेड़ों से टूट कर गिर जाते हैं
पुराने पत्ते
नयों के लिए
यह दुनिया छोड़ जाते हैं
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