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जीवन / अनिल जनविजय

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|संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे
}}
 
बेचैन होते हैं
 
फड़फड़ाते हैं
 
पेड़ों से टूट कर गिर जाते हैं
 
 
पुराने पत्ते
 
नयों के लिए
 
यह दुनिया छोड़ जाते हैं
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